Indian Railway – Rajbhasha Hindi

भारतीय रेलवे, जिसे ‘देश की जीवनरेखा’ कहा जाता है, न केवल यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का माध्यम है, बल्कि यह देश की विविध भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने का एक सशक्त साधन भी है। हिंदी को सरकारी कार्यों में प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय रेलवे में राजभाषा नीति का विशेष महत्व है। इस नीति के माध्यम से रेलवे कर्मचारियों को हिंदी में कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाता है और विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से हिंदी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाता है। यहाँ पर “Indian Railway – Rajbhasha Hindi” शीर्षक के अंतर्गत आपको रेलवे में राजभाषा के महत्व और इसके प्रचार प्रसार के लिए किये जा रहे प्रयासों से अवगत कराया जा रहा है. राजभाषा के विषय में नीचे दी गई महत्वपूर्ण जानकारी जीवन के किसी भी क्षेत्र में आपके काम आ सकती है.

राजभाषा का अर्थ है- राज-काज की भाषा. अर्थात जो भाषा किसी देश या राज्य के सरकारी काम काज के लिए प्रयोग की जाती है. 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को संवैधानिक तौर पर राजभाषा का दर्जा दिया गया. इसीलिए 14 सितम्बर को प्रति वर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है.

राजभाषा विभाग के पोर्टल पर भी राजभाषा नीति स्पष्ट रूप से लिखा गया है, जिसके अनुसार संघ की राजभाषा नीति इस प्रकार से है-

संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है । संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतराष्ट्रीय रूप है {संविधान का अनुच्छेद 343 (1)} । परन्तु हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी सरकारी कामकाज में किया जा सकता है (राजभाषा अधिनियम की धारा 3) ।

संसद का कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जा सकता है । परन्तु राज्यसभा के सभापति महोदय या लोकसभा के अध्यक्ष महोदय विशेष परिस्थिति में सदन के किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकते हैं । {संविधान का अनुच्छेद 120}

किन प्रयोजनों के लिए केवल हिंदी का प्रयोग किया जाना है, किन के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग आवश्यक है और किन कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाना है, यह राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा नियम 1976 और उनके अंतर्गत समय समय पर राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की ओर से जारी किए गए निदेशों द्वारा निर्धारित किया गया है ।

राजभाषा नीति का मुख्य उद्देश्य सरकारी कार्यों में हिंदी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देना और इसे राजभाषा के रूप में स्थापित करना है। इसके अंतर्गत हिंदी को सरकारी कार्यालयों, दस्तावेजों, और संचार माध्यमों में प्रमुखता दी जाती है। भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में अनुच्छेद 343 से 351 तक में 22 राजभाषाओं के नाम हैं- असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी हैं। इनमें से 14 भाषाएँ प्रारंभ से ही संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल हैं. सिन्धी को 1967 में; कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली को 1992 में; और संथाली, बोडो, डोगरी, मैथिलि को 2003 में संविधान में शामिल किया गया.

IRFC के विषय में विशेष जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

  1. अनुच्छेद 343: संघ की राजभाषा हिंदी होगी।
  2. अनुच्छेद 344: राजभाषा आयोग और संसद की समिति का गठन।
  3. अनुच्छेद 345: राज्यों की राजभाषा का निर्धारण।
  4. अनुच्छेद 348: उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अंग्रेजी का प्रयोग।
  5. अनुच्छेद 351: हिंदी भाषा के प्रसार के लिए निदेश।

राजभाषा नीति 1976 के तहत भारत के राज्यों को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है- क, ख और ग.

इस क्षेत्र में निम्न राज्य व केंद्र शाषित शामिल हैं –

  1. उत्तर प्रदेश
  2. उत्तराखंड
  3. बिहार
  4. झारखंड
  5. मध्य प्रदेश
  6. छत्तीसगढ़
  7. राजस्थान
  8. हरियाणा
  9. हिमाचल प्रदेश
  10. दिल्ली
  11. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
  1. पंजाब
  2. गुजरात
  3. महाराष्ट्र
  4. चंडीगढ़
  5. दमन व दीव
  6. दादर व नगर हवेली

जो राज्य और केंद्र शाषित प्रदेश ‘क’ और ‘ख’ क्षेत्र में नहीं आते वे सभी ‘ग’ क्षेत्र में आते हैं

ट्रेन में आपातकाल की स्थिति में क्या करना चाहिए? ये जानने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये.

I LOVE HINDI

कर्मचारियों को उनके भाषा के ज्ञान के अनुसार 4 कैटेगरी में बनता गया है- क, ख, ग और घ.

वे कर्मचारी जिनकी मातृभाषा हिंदी या हिन्दुस्तानी या उसकी कोई बोली है.

वे कर्मचारी जिनकी मातृभाषा उर्दू, पंजाबी ,कश्मीरी, पाश्तो या कोई संबद्ध भाषा है.

वे कर्मचारी जिनकी मातृभाषा मराठी, गुजराती, बंगाली, उड़िया, असमिया और सिन्धी है.

वे कर्मचारी जिनकी मातृभाषा दक्षिण भारतीय भाषा या अंग्रेजी है.

राजभाषा विभाग हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित गतिविधियों का आयोजन करता है –

हर साल सितंबर महीने में हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं, जैसे निबंध लेखन, वाद-विवाद, काव्य पाठ, आदि का आयोजन किया जाता है।

कर्मचारियों को हिंदी में कार्य करने के लिए प्रशिक्षित करने हेतु हिंदी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। इन कार्यशालाओं में कर्मचारियों को हिंदी टाइपिंग, अनुवाद, और अन्य आवश्यक कौशल सिखाए जाते हैं।

राजभाषा विभाग द्वारा कर्मचारियों को हिंदी में कार्य करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं जैसे- प्रबोध ,प्रवीण और प्राज्ञ आदि। इससे कर्मचारियों को हिंदी में दक्षता प्राप्त करने में मदद मिलती है। हिंदी भाषा के प्रशिक्षण के साथ ही राजभाषा विभाग हिंदी टाइपिंग, हिंदी आशुलिपि और हिंदी अनुवाद में भी प्रशिक्षण कार्क्रम चलाता है.

हिंदी में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों और विभागों को विशेष पुरस्कार और सम्मान दिए जाते हैं। इससे कर्मचारियों को हिंदी में कार्य करने के लिए प्रेरणा मिलती है।

राजभाषा विभाग ने अपने विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्यम से हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारतीय रेलवे में हिंदी का उपयोग बढ़ा है और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज अब हिंदी में भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा, विभिन्न प्रतियोगिताओं और कार्यशालाओं के माध्यम से कर्मचारियों की हिंदी में दक्षता बढ़ी है।

राजभाषा विभाग की भविष्य की योजनाओं में हिंदी के उपयोग को और अधिक बढ़ावा देना शामिल है। इसके अंतर्गत नई तकनीकों का उपयोग, डिजिटल माध्यमों में हिंदी का प्रसार, और अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन शामिल है। इसके अलावा, विभाग का लक्ष्य है कि भारतीय रेलवे के सभी कर्मचारियों को हिंदी में कार्य करने के लिए पूर्ण रूप से प्रशिक्षित किया जाए।

ज्ञानवर्धन या किसी परीक्षा में राजभाषा सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी के कहीं और जाने की जरुरत नहीं. इसके लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिये –

राजभाषा पर पूछे जानेवाले महत्वपूर्ण प्रश्नों और उनके सही उत्तर के लिए (QUESTION BANK-English)

हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं प्रोत्साहन के लिए दिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के पुरस्कार

राजभाषा पर विभागीय परीक्षाओं में संविधानिक प्रावधानों पर पूछे जानेवाले प्रश्नोत्तर

निष्कर्ष

भारतीय रेलवे में राजभाषा नीति का महत्वपूर्ण स्थान है। यह नीति न केवल सरकारी कार्यों में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देती है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है। राजभाषा विभाग के विभिन्न प्रयासों से हिंदी का प्रसार और भी बढ़ रहा है और भविष्य में हिंदी का उपयोग और अधिक व्यापक होगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top