Railway Audit Cases – Closure

Railway Audit Cases-Closure रेलवे में ऑडिट के मामले और उनका निष्पादन

Railway Audit Cases-Closure बारे में जानने से पहले आईये जानते हैं कि ऑडिट करने वाले अथॉरिटी कौन है और वह किससे गोवर्न होते हैं .

भारत का नियंत्रक और महा लेखापरीक्षक CAG

केंद्रऔर राज्य सरकार के खातों की जाँच पड़ताल के लिए नियंत्रक और महा लेखा परीक्षक कार्यालय है. यह एक संवैधानिक और ऑटोनोमस बॉडी है। इसका प्रधान Comptroller & Auditor General of India ( CAG ) कहलाता है। इसका हेड क्वार्टर नई  दिल्ली में है।

संविधान और सी ए जी

संविधान के आर्टिकल 148 से 151 के नियमों के अनुसार ये निकाय अपना काम  करती है। Article 148- CAG की नियुक्ति, शपथ और सेवा की शर्तों से संबंधित है।Article 149- CAG के कर्त्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है। Article 150-संघ और राज्यों को खाता बही CAG की सलाह के अनुसार रखना है। Article 151- संघ के खातों से संबंधित CAG की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी, जो संसद के प्रत्येक सदन के पटल  पर रखी जाएगी। राज्यों से सम्बंधित रिपोर्ट्स राज्यपाल को सौंपे जायेंगे जो विधान सभा में रखी जाएगी।

रेलवे और ऑडिट

रेलवे बोर्ड, जोनल ऑफिसेस, डिविजनल ऑफिसेस, प्रोडक्शन यूनिट्स सभी जगह CAG के कार्यालय होते हैं।  रेलवे के सभी कार्यालयों से ऑडिट के कार्यालय अटैच रहते हैं जो नियमानुसार रेलवे के खातों एवं लेखों की जाँच करके रिपोर्ट बनाते हैं।  

इंस्पेक्शन सिस्टम

नया फाइनेंसियल ईयर स्टार्ट होने से पहले प्रत्येक ऑडिट ऑफिस अपने एरिया में पड़ने वाले रेलवे ऑफिसेस का लिस्ट बनाता है। अगले साल किस ऑफिस का किस महीने में इंस्पेक्शन करना है का प्रोग्राम बनाकर अपने सक्षम अधिकारी से स्वीकृति लेता है। स्वीकृत निरीक्षण कार्यक्रम के अनुसार अप्रैल से मार्च तक इंस्पेक्शन कार्य चलता है। जिस कार्यालय का इंस्पेक्शन करना होता है उसको पहले ही लिखित में सूचित कर दिया जाता है। इंस्पेक्शन टीम के हेड रेलवे ऑफिस के हेड के साथ एंट्री और एग्जिट मीटिंग करतेहैं।

इंस्पेक्शन के बाद इंस्पेक्शन रिपोर्ट बनाकर इंस्पेक्टेड ऑफिस और संबधित एकाउंट्स ऑफिस को भेज दिया जाता है। कार्यकारी कार्यालय अपना जवाब लेखा कार्यालय को भेजता है। लेखा कार्यालय में उसकी जाँच की जाती है। जवाब सही रहने पर लेखा कार्यालय अपनी टिप्पणी के साथ रिप्लाई को ऑडिट ऑफिस को भेज देता है अन्यथा उचित जवाब के लिए कार्यकारी कार्यालय को लौटा देता है।

आईये जानते हैं कि ऑडिट केसे कितने प्रकार के होते हैं और Railway Audit Cases -Closure की प्रक्रिया क्या है.

ऑडिट रिपोर्ट के प्रकार  

लेखापरीक्षा निरीक्षण रिपोर्ट भाग 1 (AUDIT INSPEACTION REPORT PART I)

इंस्पेक्शन के दौरान पायी गई बड़ी अनिमितताओं, वित्तीय हानि को AIR पार्ट-1 में लिया जाता है। सम्बंधित ऑफिस को इसका जवाब एक माह में एकाउंट्स ऑफिस के माध्यम से देना होता है।

लेखापरीक्षा निरीक्षण रिपोर्ट भाग 2 (AUDIT INSPEACTION REPORT PART 2)

इंस्पेक्शन के दौरान पायी गई कम महत्व की अनिमितताओं को AIR Part -2  में लिया जाता है। सम्बंधित ऑफिस को इसका भी जवाब एक माह में एकाउंट्स ऑफिस को भेजना होता है। इसका निष्पादन सम्बन्धित लेखा अधिकारी स्तर पर ही हो जाता। प्राप्त रिप्लाई सही होने पर केस को बंद करके ऑडिट ऑफिस को सूचित कर दिया जाता है।

स्पेशल लेटर (Special Letter)

AIR Part 1 का प्राप्त रिप्लाई संतोषजनक न होने पर ऑडिट ऑफिस द्वारा आगे स्पष्टीकरण माँगा जाता है। उचित जवाब न मिलाने पर  उसे स्पेशल लेटर में तब्दील कर दिया जाता है।  किसी प्रोजेक्ट वर्क की जाँच में गंभीर अनियमितता पाए जाने पर ऑडिट ऑफिस डायरेक्ट भी स्पेशल लेटर जारी करता है। स्पेशल लेटर पर कार्रवाही जोनल लेवल पर होती है।

ड्राफ्ट पैरा (Draft Para)

Special Letter  का प्राप्त रिप्लाई संतोषजनक न होने पर ऑडिट ऑफिस द्वारा आगे स्पष्टीकरण माँगा जा सकता  है। उचित जवाब न मिलने पर  उसे Draft Para में तब्दील कर दिया जाता है।  ड्राफ्ट पारा का जवाब 8 सप्ताह में महा प्रबंधक के माध्यम से भेजा जाता है।

प्रोविशनल ऑडिट पैरा (Provisional Audit Para)

Draft Para  का प्राप्त रिप्लाई संतोषजनक न होने पर ऑडिट ऑफिस द्वारा पुनः स्पष्टीकरण माँगा जा सकता है । उचित जवाब न मिलने पर  उसे Provisional Para में बदल दिया जाता है।  Provisional Para का जवाब 6 सप्ताह में महा प्रबंधक के माध्यम से रेलवे बोर्ड को भेजा जाता है।

ऑडिट पैरा (Audit Para)

 Provisional Para का प्राप्त रिप्लाई संतोषजनक न होने पर ऑडिट ऑफिस द्वारा पुनः स्पष्टीकरण माँगा जा सकता है । उचित जवाब न मिलने पर  उसे Audit Para में बदल दिया जाता है। Audit  Para का जवाब महा प्रबंधक के माध्यम से रेलवे बोर्ड को भेजा जाता है। इस लेवल पर आ कर ऑडिट केस सबसे गंभीर हो जाता है। ऑडिट पैरा CAG के वार्षिक रिपोर्ट में शामिल किया जाता है जो पार्लियामेंट के पटल पर रखा जाता है। बाद में इसे लोक लेखा समिति को सौंप दिया जाता है जहाँ इस पर आगे की कार्रवाही की जाती है।

अब आप Railway Audit Cases – Closure के बारे में अवगत हो गये कि ऑडिट पैरा कैसे बनता है और इसको कैसे बंद कराया जाता है.

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